चामुंडा अमृतवाणी | Chamunda Amritwani | Maa Chamunda Bhajan | Maa Chamunda Song | Devi Bhajan

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चामुंडा अमृतवाणी | Chamunda Amritwani | Maa Chamunda Bhajan | Maa Chamunda Bhakti Song | Mata Songs

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Mata Ke Bhajans:
🙏Durga Ashtottarshat – https://youtu.be/4AzVEs692m8
🙏Shree Durgasaptshati – https://youtu.be/OKuQtZ-nNv0
🙏Durga Mata Katha – https://youtu.be/EiJGPb_jAgE
🙏Durga Kavach – https://youtu.be/5D5wEW5Qtpw
🙏Bhadrakali Maa Karali – https://youtu.be/h6-iUafLjLc

Credits:
Singer : Tripty Shakya
Lyrics : Shardul Rathod
Music : Kashyap Vora
Music Label: Wings Music
© & ℗ Wings Entertainment Ltd

Lyrics:
माँ चामुंडा खल संहारी
सुर नर मुनि की पालनहारी
चामुंडी चामुंडेश्वरी तू
सदा सर्वदा है सुखकारी
आशावादी आस जगाए
निर्बल को बलवान बनाए
माया चरणों की है दासी
मोह माया के फंद मिटाए
परम साध्वी है तू माता
जो चरणों में ध्यान लगाता
चामुंडा भव का भय हरती
बेड़ा भव से पार है करती
कोटि रूप सदा माँ धरती
भला सभी का मैया करती
विपदा हरिणी माँ चामुंडा
मंगल करणी माँ चामुंडा
मंगल ऐसा कीजिए
हे जग जननी माँ
शमन करो माँ दुख सभी
मंगल करणी माँ
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
आदि शक्ति का रूप तुम्ही हो
जग जननी स्वरूप तुम्ही हो
जन जन का कल्याण हो करती
ऊर्जा का संचार करती
चरण कमल वंदन जो करता
सदा सर्वदा ध्यान है धरता
चरणों की रज औषधि न्यारी
होएं निरोगी सभी संसारी
शीश चरण में जो झुक जाता
विपदा में वो कभी न आता
हर संकट का हल मिल जाता
मैया तू ऐश्वर्या प्रदाता
तेरे नाम का स्वाद अनोखा
सदा प्रदान करे शुभ मौका
छल और कपट से दूर है रहता
जो तेरी जयकार है करता
सदा करें चिंतन तेरा
ऐसी दया करना
आनंद मंगल हम करें
ऐसी कृपा करना
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
शुंभ निशुंभ दुष्ट थे दानव
संहारें ऋषि मुनि और मानव
अत्याचार सदा वो करते
दुष्ट सभी के प्राण थे हरते
धर्म में वो व्यवधान डालते
कुंड में रक्त और मांस डालते
करते सज्जनों का संहार
मचा हुआ था हाहाकार
सुर नर मुनिजन दुखी हुए हैं
शक्ति का आह्वान किये हैं
तब एक देवी सम्मुख आयी
सबने विपदा उन्हे सुनाई
दोनों का संहार करो माँ
पल में उनके प्राण हरो माँ
देवी ने कन्या प्रकटायी
उसे देवों की व्यथा सुनायी
दुष्टों से बचाइए
रक्षा करिए आप
सारे जन्मों के मिटें
मात हमारे पाप
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
कौशिकी उसको नाम दिया है
जो करना है बता दिया है
शुंभ निशुंभ के प्राण हरो तुम
सदजन के दुख दूर करो तुम
कौशिकी देवी थी अति सुंदर
सुंदरता का पूर्ण समंदर
शुंभ निशुंभ ने किये जो दर्शन
बस गई देवी दोनों के मन
बोले देर ना देवी लगाओ
दोनों की पत्नी बन जाओ
तुमने वो सुंदरता है पायी
हम दोनों के मन को भायी
पत्नी हमारी बन जाओगी
जीवन में हर सुख पाओगी
रक्षा करेंगे सदा तुम्हारी
देवी है ये सौगंध हमारी
पाप रहित दृष्टि रहे
रहे मधुर वाणी
पुण्य सदा करते रहे
मैया कल्याणी
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
उसी वीर से विवाह करूंगी
उसी को अपना वर मानूँगी
जो मेरा प्रण पूर्ण करेगा
युद्ध में मुझे पराजय देगा
देवी वचन से खिन्न हुआ मन
आग लगी दोनों के तन मन
क्रोध अपार उन्हे है आया
समझ ना पाए देवी की माया
बोले सेवक मेरे लड़ेंगे
वो ही तुम्हें परास्त करेंगे
यदि वो तुमसे हार जाएंगे
तब रणक्षेत्र में हम आएंगे
ये सुनकर हुई देवी सहमत
शुंभ निशुंभ भी माने झटपट
चण्ड मुण्ड तब सम्मुख आए
काली रूप धर मार गिराए
शिष्टाचार का वृत करें
सदाचारी हो मन
कर्म हमारे हो भले
पाप रहित जीवन
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
चंड मुंड को मार गिरायी
चामुंडा देवी कहलाई
भगवती का ये रूप निराला
मंगलफल है देनेवाला
मन के दानव मात मिटाती
सद्गुण अंतर्मन में बिठाती
पाप श्राप का शमन माँ करती
दुर्बुद्धि माँ पल में हरती
परम शक्तिशाली चामुंडा
सुगम करने वाली चामुंडा
दया कृपा की खान है मैया
हर एक जीव में प्राण है मैया
अनंत आँचल माँ फैलाती
पल में सबको उसमें छुपाती
ममता की है विशाल मूर्ति
अन्नपूर्णा करे पूर्ति
बुद्धि का वरदान दो
ज्ञान की दो सौगात
जीवन में हर पल तेरा
मैया जी हो साथ
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
जीवित हुई अग्नि में जलके
सुख देती तू विपदा हरके
करती शमन निराशा का तू
फल देती है आशा का तू
तू माँ शिव की प्रीत है न्यारी
भोले की तू सदा है प्यारी
जग पे स्नेह दुलार लुटाती
माया के सब फंद मिटाती
है निवास ब्रह्माण्ड ये सारा
तेरा ही है जगत पसारा
पल पल सबका रखती ध्यान
सारा जग तेरी संतान
ये संसार के बंधन सारे
काम क्रोध मद मोह के द्वारे
इन सबसे माँ मुक्त कराती
भव से नैया पार लगती
आशा का दीपक जले
मन में हमारे माँ
जीवन की साँसे चले
तेरे सहारे माँ
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे
देवी तू कैलाशपति की
तू ही रूपिणी मात सती की
जीत सदा तेरे शरणागत है
सारे ग्रंथों का ये मत है
तू सत्या तू शूल धारिणी
खल असुरों की प्राण हारिणी
तू ही त्रिनेत्री है कहलाती
दीन हीन दुखिया की साथी
रूप बड़ा सुंदर है तेरा
आभा करती है दूर अंधेरा
तू प्रचंड चामुंडा माता
जीवन की तू मात प्रदाता
करता माँ जो तेरा चिंतन
पावन मन से करता वंदन
फलदायी है तेरी वंदना
तू करती है प्रदान चेतना
महादेव के साथ माँ
कर मेरे मन वास
मन कोमल निश्छल बने
पूरन कर माँ आस
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं
चामुण्डायै विच्चे

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