बड़े बड़े बलवानो का | Bade Bade Balwano Ka | Hanuman Ji Ke Bhajan | Hanuman Songs | Bhakti songs
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बड़े बड़े बलवानो का | Bade Bade Balwano Ka | Hanuman Ji Ke Bhajan | Hanuman Songs | Bhakti songs
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Tittle : Bade Bade Balwano Ka
Singer: Shailendra Bharati
Lyrics: Shardul Rathod
Music: Samuel Paul
Music Label: Wings Music
© & ℗ Wings Entertainment Ltd
Lyrics:
बड़े बड़े बलवानों का
पल में है दंभ मिटाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
वानर यूथपति जी ने है
सबका साथ निभाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
एक बार जब अपने बल पर
भीम हुए अभिमानी
तब हनुमत ने भीम के अहं को
चूर करने की ठानी
भीम की राह में बूढ़े बनकर
लेट गए कपि ज्ञानी
पूंछ हटा बूढ़े वानर कहें
भीम दंभ भरी वाणी
स्वयं हटा दो पूंछ ऐ बालक
कहके कपि मुस्काए
किन्तु राह से कपि की पूंछ को
भीम उठा नहीं पाए
चूर किया अभिमान भीम का
सर चरणों में झुकाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
द्वापर की तुम्हें कथा सुनाएँ
ध्यान धरो अतिभारी
कथा बड़ी ही मुक्तिदायी है
तर जाएं संसारी
द्वारिका नगरी का प्रसंग ये
मित्रों है अति पावन
ग्रहण करने से जिसको
हो जाएगा निर्मल तन मन
सत्यभामा को गरुड सुदर्शन
चक्र का अहं जो आया
तीनों का अभिमान श्याम ने
हनुमत को बतलाया
श्री हनुमत ने कैसे तब
उनका है दंभ मिटाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
पूछा गरुड ने श्री नंदलाल से
प्रभु हमे समझाओ
हमसे तेज उड़ सकता कौन है
उसका नाम बताओ
सुन के गरुड के वचन
सुदर्शन ने मन की कह डाली
इस दुनिया में कोई नहीं प्रभु
मुझसे शक्तिशाली
दोनों का अभिमान देखकर
लगे श्याम मुस्काने
अहम चूर करना होगा
वो युक्ति लगे लगाने
कृष्ण सोचने लगे हनुमत ने
भीम का अहम मिटाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
सत्यभामा भी कहने लगी
जब आप त्रेता में आए
राम रूप में सीता के संग
आप ही ब्याह रचाए
एक शंका है स्वामी उपजी
मेरे मन के अंदर
आप बताएं मुझमे और
सीता में कौन है सुंदर
समझ गए श्री श्याम
सत्यभामा में अहम है आया
तब श्री कृष्ण ने गरुड भेज के
हनुमत को बुलवाया
श्री हनुमत ने हर युग में
हरि का हर काज बनाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
इधर कृष्ण ने श्री राम का
धारण रूप किया है
सत्यभामा को सीता रूप
धरने का हुक्म दिया है
और सुदर्शन चक्र से बोले
पहरेदार बन जाओ
अंदर कोई आ नहीं पाए
आज्ञा मेरी निभाओ
उधर गरुड ने पहुंच कपि निज
सन्देसा है सुनाया
बोले राम ने आपको हनुमत
यथा शीघ्र बुलवाया
बलधारी कपि गरुड से बोले
आप चलो मैं आया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
आप वृद्ध हो गए हैं कपिवर
कैसे उड़ पाएंगे
यथाशीघ्र हे वानर राजा
पहुँच नहीं पाएंगे
आप से विनती मेरी पीठ की
करलो आप सवारी
पल में ही हम पहुँच जायेंगे
मेरी शक्ति न्यारी
गरुड के दंभ को समझ कपि ने
उनको भेज दिया है
और स्वयं भी अगले पल
अपना प्रस्थान किया है
चाहे बल हो या बुद्धि हो
सबको कपि ने हराया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
जब पहुंचे हैं गरुड राम निज
हनुमत को वहाँ पाया
चूर हुआ अभिमान शक्ति का
उन्होंने शीश झुकाया
कहने लगे हैं गरुड राम से
क्षमा करें अपराध
महाबलदायी बजरंगी की
शक्ति प्रभु अगाध
राम कहें द्वारे पे कपि को
सुदर्शन ने नहीं टोका
हुआ उल्लंघन आज्ञा का
क्यों तुमको नहीं है रोका
अपने मुंह में तब हनुमत ने
सुदर्शन को दिखलाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
हनुमत बोले आप ही कृष्ण हैं
आप ही त्रेता राम
जहां आप हैं वहीं प्रभु जी
आपका है ये गुलाम
आपसे मिलने को जो रोक दे
कोई नहीं बलवान
आप हमारे हृदय में बसे
आप हमारे प्राण
राम के रूप में आप कृष्ण हैं
हमने ये पहचाना
सिया माँ के स्थान पे कौन ये
दासी पर नहीं जाना
इतना कहकर हनुमान ने
अपना शीश झुकाया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
सीता की सुंदरता का
जब किया कपि ने बखान
चूर हुआ है सत्यभामा का
एक पल में अभिमान
गरुड सुदर्शन चक्र
सत्यभामा जो रानी है
चूर हुआ है दंभ तीनों का
सच ये कहानी है
पश्चाताप में तीनों ने ही
आँसू बहाए हैं
क्षमा मांगते हुए तीनों ने
शीश झुकाए हैं
जन जन की भलाई में
हनुमत का बल काम में आया
पर अपने अतुलित बल पे
अभिमान कभी ना दिखाया
महाब्रह्मचारी
रुद्र अवतारी
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