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राम अमृतवाणी | Ram Amritwani | Shree Ram Bhajan | Shree Ram Song | Bhakti Song
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Credits:
Singer : Supriya Joshi
Lyrics : Devendra Rana
Music : Kashyap Vora
Music Label: Wings Music
© & ℗ Wings Entertainment Ltd
Lyrics:
दशरथ नंदन राम हमारे
जनजीवन के पालनहारे
पल में करते पूरण काम
कौशल सुत श्री राजा राम
राम चलाते सृष्टी सारी
राम दयालू मंगलकारी
राम नाम है सबसे न्यारा
राम नाम से ये जग सारा
रोम रोम ये नाम समाया
अद्भुत है इस नाम की माया
राम नाम है ज्ञान की धारा
जिसने सबको पार उतारा
राम नाम है परम सवेरा
राम नाम से मिटे अंधेरा
जिसके मन श्रीराम का डेरा
अनहद खुशियों का है बसेरा
परम कृपालू राम है
कृपा करें दिन रैन
ध्यान धरो श्रीराम का
मिल जाये सुख चैन
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
राम की वाणी अमृतवाणी
जो रसपान करे सो ज्ञानी
अज्ञानी का ज्ञान जगाये
दुनिया में सम्मान दिलाये
राम नाम है शीतल छाया
निर्मल करती सबकी काया
धूप दुखों की कभी सताये
शरण राम की सुख बरसाये
रटन राम की जिसको लागे
राम धाम की ओर वो भागे
राम नाम है जीवन ज्योती
राम नाम है सांचा मोती
राम नाम है धरती अंबर
राम नाम है नदी समंदर
दसों दिशा में राम नाम है
राम से बढ़कर राम नाम है
राम नाम ही नाव है
राम नाम पतवार
राम नाम ही ले जाये
भवसागर के पार
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
राम धर्म की है परिभाषा
राम नाम है प्रेम की भाषा
राम नाम जीवन की आशा
राम नाम से मिटे निराशा
राम नाम है सदा सहायी
राम नाम है मुक्ति प्रदायी
राम नाम है पावन गाथा
राम नाम है जग विख्याता
राम नाम हर विपदा टारे
दूर करे सारे अंधियारे
राम नाम है सत्य सनातन
राम नाम है धर्म पुरातन
राम नाम की महिमा भारी
जपे निरंतर सब नर नारी
राम नाम है तप और पूजा
प्रभू राम सा कोई न दूजा
नारायण अवतार हैं
कौशल सुत श्रीराम
अवधपुरी की धन्यधरा
प्रभू राम का धाम
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
सूर्य वंश के रघुवर चंदा
रघुकुल भूषण दशरथ नंदा
राम लला श्री अवध बिहारी
दीन दयामय मंगल कारी
श्यामवर्ण शुभ कंचन काया
रोम रोम हित हेत समाया
शुभ आलौकिक प्रभु का दर्शन
अति दुष्कर श्रीराम का वर्णन
प्रभू राम की महिमा भारी
मंगल कारक भवभय हारी
धन्य धरा है अवध नगरिया
धर्म ध्यान की बनी डगरिया
ले अवतार प्रभू जी आये
सुरनर मुनिजन सब हर्षाये
राम आगमन अति शुभकारी
पुलकित हो गयी सृष्टी सारी
भीर पड़ी संसार पर
लिया प्रभू का नाम
बैकुंठ निवासी बन गये
अवधेश्वर श्रीराम
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
ज्येष्ठ पुत्र दशरथ के ललना
झूल रहे चंदन के पलना
चारों दिशा में ख़ुशियाँ छायी
तीन लोक में बाजे बधाई
जिस भूमी पे राम चरण हैं
हँसी खुशी में लोग मगन हैं
अखिल विश्व के तारणहारे
बाल रूप श्रीराम दुलारे
सर्व काल के ज्ञानी रघुवर
धर्म धरोहर दानी रघुवर
नित नित लीला नयी दिखाते
पुण्य कर्म से धरा सजाते
लक्ष्य साध इस जग में आये
साधू सज्जन दुख ना पाये
पाप अधम को कोई न पूजे
दसों दिशा में धर्म ही गूंजे
अनंत गाथा राम की
अनहद राम के रूप
जैसी जिसकी भावना
वैसा दिखे स्वरूप
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
शिक्षा हेतु प्रभु गुरूकुल आये
ऋषि वशिष्ठ को गुरू बनाये
मृदुभाषी प्रभु राज दुलारे
ऋषि मुनियों के प्राणन प्यारे
विश्वामित्र के काज संवारे
ताड़क वन श्रीराम पधारे
ताड़क वन की धरती तारी
दुष्ट ताड़का पल में मारी
जहाँ जहाँ पग राम जी धरते
दीन दुखी को निर्भय करते
पुण्य स्रोत श्रीराम रमैया
ज्यों मरूधर में शीतल छैया
चरण धूलि पे जग बलिहारी
बनी अहिल्या शिला से नारी
राम भक्ति के पावन मोती
अंधकार में जीवन ज्योती
जनकपुरी प्रभु आ गये
विश्वामित्र के साथ
जनकराज का आमंत्रण
स्वीकारे रघुनाथ
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
विश्वामित्र की आज्ञा पाये
धनुष तोड़कर बल दिखलाये
सिया स्वयंवर उत्सव छाया
जनक सुता संग ब्याह रचाया
सीतापति श्रीराम कहाये
देवि देव अमृत बरसाये
परशुराम जब क्रोध में आए
सत्य जानकर शीश नवाए
ऐसी विनय व ऐसी भाषा
प्रभु मर्यादा की परिभाषा
संग सिया के अवध पधारे
सारे नगर ने चरण पखारे
ढोल शंख गूंजत शहनाई
राज महल में बजे बधाई
द्वार पे माता आरती उतारें
पिता जी हीरे मोती वारें
दशरथ जी के महलों में
छाया हर्ष अपार
हंसी खुशी से झूम रहा
सूर्यवंश परिवार
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
एक ऐसी अनहोनी छायी
कैकई के मन कटुता आयी
दशरथ जी से वचन धराया
श्रीराम को वन भिजवाया
संग लखन और जनक दुलारी
वनवासी हुये अवध बिहारी
सूर्पणखा ने छल फैलाया
करके घायल उसे भगाया
जब रावण को बात बताई
कुटिल योजना उसने बनाई
स्वर्ण हिरण बन मारीच आया
राम लखन का पथ भटकाया
साधू भेष रावण ने बनाया
सीता हर के लंका लाया
ऐसी घड़ी बिरहा की आयी
दुख से व्याकुल दोनो भाई
मिले वीर हनुमान जी
किष्किंधा के पास
सिया खोजने निकल पड़े
प्रभु राम के दास
जय राम जय जय राम
जय राम जय जय राम
लांघ गये वो महा समंदर
पहुंच गये लंका के अंदर
सूक्ष्म रूप में दरश दिखाया
रघुवर का संदेश सुनाया
विकट रूप में हनुमत आये
लंका में उत्पात मचाये
रावण ने जब पूंछ जलायी
स्वर्ण की लंका राख बनायी
राम प्रभू के बनके सहाई
राम नाम से शिला तिराई
सागर ऊपर सेतु बनाया
सेना सहित लंका पहुंचाया
राम सहायक बने विभीषण
युद्ध हुआ लंका में भीषण
मूर्छित हो गये रण में लक्ष्मण
बन गये हनुमत संकट मोचन
राम नाम के ध्यान से
हनुमत बने महान
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