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शिव अमृतवाणी | Shiv Amritwani | Shiv Bhajan | Mahadev Songs | Bhakti Song | Bhajan
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Credits:
Singer : Puran Shiva
Lyrics : Munendra Premji
Music : Kashyap Vora
Music Label : Wings Music
© & ℗ Wings Entertainment Ltd
Lyrics:
शिव अमृत की पावन धारा
कष्टों को हर लेती सारा
शिव सुमिरन है सदा सहायी
शिव शंकर जग में बलदायी
शिव शंकर को जो नित ध्याता
भय से भक्त वो मुक्ती पाता
शीश नवालो शिव के आगे
काल निकट आकर के भागे
शिव की छवि बसा लो मन में
शिव भक्ती हो अंतर मन में
रोग दोष क्षण में मिट जाते
शिव की दया से मुक्ती पाते
श्री गणेश के तात कहाए
कार्तिकेय भी पिता बुलाए
मन के शिवालय शिव शम्भू हैं
विष का पान करे शम्भू हैं
कृपा मेरे शिव कीजिये
हो जाए उद्धार
जग तारण शिव आप हो
करते बेड़ा पार
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
शिव सागर में जो भी नहाए
सुखमय जीवन भक्त बिताए
शिव जी सदा ही साथ निभाते
संकट विपदा पास ना आते
शिव का भक्त तू बन जा बन्दे
छोड़ दे सारे गोरख धंधे
शिव ने ये संसार बनाया
अजर अमर है शिव की माया
शिव जी जब करुणा बरसाते
माटी में मोती उग जाते
प्रेम का शिव से नाता बनाले
शिव की अलौकिक भक्ती पा ले
मन में शिव की भक्ती कर ले
सोया भाग्य भी पल में बदले
शिव जी कण कण के वासी है
उमापति ये कैलाशी है
आदि अनंत आप हैं
जग के रचनाकार
देवो के ये देव हैं
जग के पालन हार
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
शिव शंकर भोले कैलाशी
महाकाल ये हैं अविनाशी
परम् शक्ति ये परम् ज्ञान हैं
भक्त जनों के शक्तिमान हैं
शिव को जो तन मन से ध्याता
जनम मरण से मुक्ती पाता
शिव चरणों का दास तू बन जा
शिव की महिमा को नित तू गा
शिव में रख मन से विश्वास
शिव ना टूटने देंगे आश
शिव जी श्रद्धा भाव के प्यासे
रोग दोष शिव जी से नासे
प्रेम भाव से शिव खुश होते
शिव के भक्त कभी ना रोते
धर्म कर्म में प्रीत लगाओ
मोह माया भ्रम जाल मिटाओ
मोह माया को छोड़कर
शिव से प्रीत लगा
मन उजियारा होएगा
शिव संगीत सजा
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
हे शिव शम्भू हे शशि शेखर
कर में डमरू हे प्रलयंकर
शिव फलदायक शिव सुखदायक
भोलेनाथ जी सृष्टि नायक
शिव की रचना परम् सुहानी
शिव की महिमा वेद बखानी
शिव शक्ती की अमर कहानी
शिव बलवान शिव ही ज्ञानी
शिव ही भूत भविष्य काल हैं
कालों के ये महाकाल हैं
शिव ही पालन पोषण कर्ता
मोह माया में शमन के कर्ता
भस्म रमैया है ये त्रिलोकी
जय जयकार हो तेरी पिनाकी
तीनो लोकों के तुम स्वामी
पार ब्रह्म शिव अंतर यामी
डम डम डमरू आपका
करता सुख का भोर
शिव की भक्ती जो करे
बांधे प्रीत की डोर
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
दुर्गा पति जय हो गंगाधर
हे अविनाशी हे दिगम्बर
आपकी महिमा बड़ी महान
ब्रह्मा विष्णु करे गुणगान
गौरा पति जय दीन दयाला
हाथ में डमरू हाथ में भाला
देव ऋषि सब शीश नवाते
राम कृष्ण भी महिमा गाते
शिव शक्ती माँ आदि भवानी
शिव ही ठहरे औगढ़दानी
सूर्य तेज शिव जी से पाते
अग्नि वरुण भी शीश नवाते
शिव जी सुख समृद्धि सवेरा
शिव से ही खुशियों का फेरा
शिव ही भूतों के हैं स्वामी
शिव ही गुजरा वक्त आगामी
काल चक्र शिव की शरण
करता सदा नमन
शिव सम दानी कौन है
करता जग वन्दन
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
ऋषि मुनि कहते सब ज्ञानी
शिव के जैसा ना कोई दानी
काल कूट को पी गए भोले
देख जिसे था अम्बर डोले
नीलकंठ शिवजी कहलाए
कालकूट पी धुनी रमाए
देवों ने तब युक्ति बनायी
शीतल जल की धार चढ़ाई
मन के मनोरथ होते पूरे
ना ही सपने रहें अधूरे
शिव देते हैं ऐसा ज्ञान
हरते चिंता शिव भगवान
ये तो हैं अवधूत स्वरुपा
महादेव देवों के भूपा
शिव देते करनी का फल
शिव से ही है आज और क
दुर्गा पति शिव आप हैं
संतों के महा संत
जग आरम्भ आप से
और तुम्ही से अंत
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
शिव की दया तो ऐसे बरसे
हरस हरस जो सावन बरसे
शिव गुण कोयल भी गाती है
पवन भी शिव को झुक जाती है
शिव कृपा का अद्भुत सागर
भरते भक्तों की है गागर
शिव दर्शन है अति ही पावन
रुप अनूप है जो मन भावन
काम मोह को शिव जी मिटाते
यश वैभव समृद्धि बढ़ाते
शिव से मिट जाती है तृष्णा
शिव की सदा ही भक्ती करना
योगियों के महायोगी भोले
छोड़ के चिंता शिव का होले
भय नाशक मृत्युनाशी हो
रुद्र रुप जग अधिशासी हो
ऋषि मुनि सब आपसे
पाते नित आशीष
सूर्य चन्द्र और भू गगन
तुम्हे नवाते शीश
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
तुमसे ज्ञान जगत में आया
जग अंधियारा शिव ने मिटाया
सुर संगीत ध्वनि के दाता
सकल सृष्टि के भाग्य विधाता
हिमगिरि पर्वत के हो रवैया
पार्वती पति भस्म रमैया
कोटिश रवि सम शिव की ज्योति
शिव भक्ती से ख्याति होती
शिव ने रची ये दुनिया सारी
दीन बन्धु शिव ही महतारी
परम गुरु शिव ही अतिज्ञानी
शिव से देव हुए वरदानी
जीव जन्तु पर शिव उपकारी
शिव ने ही तो दुनिया तारी
शिव ही सृष्टि के हैं रक्षक
सेवक वासुकी और है दक्षक
शिव करुणा के सिन्धु हैं
शिव ही प्रीत की रीत
परम पुनीत शिव हैं मेरे
शिव भक्तों के मीत
ओम् नम: शिवाय
बोलो ओम् नम: शिवाय
सर्प आभूषण शिव के अंगे
शिव के शीश विराजी गंगे
जटा जूट हे शिव महेश्वर
दयानिधे तुम ही हो शंकर
शिव की स्तुति जो भी है करता
यश वैभव से गागर भरता
शिव हरते हैं रोग बीमारी
शिव ही उग्र और कामारी
पंचमुखी है रुप अनोखा
डर गए दानव जब है देखा
डम डम डमरू भोले बजाए
चोर निशाचर को है भगाए
शिव मृत्युंजय के हैं स्वामी
शिव ही विगत हैं शिव आगामी
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